Saturday, May 5, 2012

एक बकरे की दास्ताँ

एक बकरे की कहानी सुनाता हूँ,
कैसे वो इस व्यूह में फंसा 
वो बताता हूँ..
जीवन ने उसे कई मौके दिए
पर वो सारे 
उस बेवक़ूफ़ बकरे ने 
एक एक कर के खो दिए!
जो milestones कसाई ने सेट किये थे
उनके पीछे  भागते भागते 
उसने अपने सपने पसीने में धो दिए ..

अब जाके दुनिया खुश हुयी
पर बकरे का मन उदास है
पर उस के पास भी आजकल
एक नया टाइम पास है ....
-कभी खैर मनाती
पर आजकल खुश-
उसकी माँ में उल्लास है ..
यह छुप छुप के देखता, मोदित होता है
पर,
निराशा और सफलता के बीच
उसमे बची अभी भी कुछ प्यास है
इसीलिए आजकल बकरा टीवी पे 
लिम्का का Ad देखता है
हौले से मुस्कुराता है
और अगली बार कटने से पहले 
 अपनी प्यास थोड़ी और बढाता है!

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