जब ज़िन्दगी इतनी बड़ी है,
तो उसकी बूँदें दो ही क्यूँ हैं?
जब बोलने को इतना कुछ है,
फिर बातें दो ही क्यूँ हैं?
चलने को पूरा रास्ता पड़ा है,
पर कदम दो ही क्यूँ हैं?
देखने को पूरा संसार है,
मगर आँखें दो ही क्यूँ हैं?
क्योंकि
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